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From nuclear energy to EVs, India needs to keep all technology options open, भारत को सभी प्रौद्योगिकी विकल्प खुले रखने की जरूरत है: जानिए क्यों

भारत के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तक, भारत को सभी तकनीकी विकल्प खुले रखने चाहिए। इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा और शून्य कार्बन उत्सर्जन (नेट जीरो) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विविध तकनीकों की आवश्यकता है

  परमाणु ऊर्जा की अनिवार्यता: सूद ने बताया कि 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक अभिन्न हिस्सा है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) जैसे विकल्प डेटा सेंटरों जैसे केंद्रित ऊर्जा जरूरतों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, भले ही उनकी लागत अभी किफायती न हो। उन्होंने कहा, "परमाणु ऊर्जा अपरिहार्य है। हमें एसएमआर, 500 मेगावाट के पारंपरिक रिएक्टर, और अन्य सभी प्रकार के रिएक्टरों का उपयोग करना होगा। 

इलेक्ट्रिक वाहनों में विविधता: ईवी के क्षेत्र में, सूद ने बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों पर अत्यधिक निर्भरता के बजाय विभिन्न "इलेक्ट्रो-केमिस्ट्री" विकल्पों की वकालत की। उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन और फ्यूल सेल तकनीक को एक मजबूत विकल्प बताया, साथ ही लिथियम बैटरी के अलावा अन्य विकल्पों जैसे सोडियम-आयन बैटरी और सॉलिड-स्टेट बैटरी पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "लिथियम केमिस्ट्री अंतिम समाधान नहीं है। सॉलिड-स्टेट बैटरी सबसे सुरक्षित और उच्च ऊर्जा घनत्व वाली होंगी, लेकिन इसके लिए अभी और अनुसंधान की जरूरत है।"

 सभी विकल्पों की जरूरत: सूद ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा और प्रौद्योगिकी में "या" के बजाय "और" की सोच अपनानी होगी। डेटा सेंटरों और उच्च-स्तरीय कारखानों जैसे क्षेत्रों में 24x7 स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत होती है, जो केवल नवीकरणीय स्रोतों से पूरी नहीं हो सकती। इसलिए, परमाणु ऊर्जा और अन्य तकनीकों का मिश्रण आवश्यक है। उन्होंने कहा, "हमें सभी विकल्प खुले रखने चाहिए, खासकर उन क्षेत्रों में जहां लागत से ज्यादा विश्वसनीयता मायने रखती है।"
 अनुसंधान और विकास: सूद ने अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर बल देते हुए कहा कि भारत को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए नई तकनीकों पर काम करना होगा। उन्होंने अनुसंधान रोडमैप का जिक्र किया, जिसमें ईवी और अन्य क्षेत्रों के लिए मिशन शुरू किए गए हैं, ताकि भारत अगले पांच वर्षों में आत्मनिर्भर बन सके।

 सूद का मानना है कि भारत की विकास आवश्यकताओं और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को संतुलित करने के लिए सभी तकनीकी रास्तों को खुला रखना जरूरी है, ताकि आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय लक्ष्य भी पूरे किए जा सकें।

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